सवैये टेस्ट पेपर 01
सीबीएसई कक्षा 9 हिंदी ए
प्रश्न
Question No. 1 to 5 are based on the given text. Read the text carefully and answer the questions:
या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को तजि डारों।
आठहुँ सिद्धि नवौ निधि के सुख नंद की गाइ चराइ बिसाएँ।।
रसखान कर्बो इन आँखिन सौं, ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौं।
कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौ ।।
- पद्यांश के अनुसार, कवि तीनों लोकों का राज किनके लिए छोड़ना चाहता है?
- नंद की गाय चराने के लिए
- ब्रज की लताओं के लिए
- ब्रज के बागों के लिए
- श्रीकृष्ण की लाठी और कंबल के लिए
- कवि नंद की गाय चराने के लिए क्या कर सकते हैं?
- इनमें से कोई नहीं
- आठों सिद्धि व नौ निधियों के सुख को छोड़ सकते हैं
- तीनों लोकों का राज छोड़ सकते हैं
- करोड़ों सोने-चाँदी के महल छोड़ सकते हैं
- प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने किसके प्रति अपना प्रेम भाव व्यक्त किया है?
- जीवन से संबंधित वस्तुओं के प्रति
- कृष्ण से संबंधित वस्तुओं के प्रति
- भोग-विलास से संबंधित वस्तुओं के प्रति
- अपनी पत्नी से संबंधित वस्तुओं के प्रति
- ‘ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौं’ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
- अनुप्रास
- यमक
- श्लेष
- रूपक
- कवि करील के कुंजों पर क्या न्योछावर करना चाहता है?
- अपना संपूर्ण जीवन
- करोड़ों सोने-चाँदी के महल
- आठों सिद्धियाँ व नौ निधियाँ
- इनमें से कोई नहीं
- सवैये काव्य के संदर्भ में ‘या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी’ इस पंक्ति से गोपियों के किस मनोभाव का पता चलता है?
- मुरली के प्रति ईर्ष्या
- मुरली के प्रति सौतिया डाह
- मुरली के प्रति शत्रुता
- मुरली के प्रति ईर्ष्या भाव, सौतिया डाह एवं शत्रुता का पता चलता है
- ‘या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी’ पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
- उपमा
- श्लेष
- यमक
- रूपक
- श्रीकृष्ण से संबंधित प्रत्येक वस्तु पर सब कुछ न्योछावर करने में रसखान की कौनसी भावना की अभिव्यक्ति हुई है?
- वियोग का भाव
- अनन्य समर्पण का भाव
- दुःख का भाव
- प्रसन्नता का भाव
- कवि रसखान आठों सिद्धि और नौ
विकल्प चुनिए।- लाठी
- कदम्ब
- निधियों
- कम्बल
- रसखान किस रूप में पुनर्जन्म लेना चाहते हैं?
- मनुष्य रूप में
- पत्थर के रूप में
- पशु-पक्षी के रूप में
- श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े इन सभी रूपों से
- गोपी कानों में उँगली क्यों रखना चाहती है?
- रसखान का ब्रजभूमि के प्रति विशेष प्रेम अभिव्यक्त हुआ है। यह प्रेम हमें क्या सीख देता है?
- गोपी श्रीकृष्ण द्वारा अपनायी गई वस्तुओं को क्यों धारण करना चाहती है?
- गोपी कृष्ण की मुरली को होंठों पर क्यों नहीं रखना चाहती है?
- श्रीकृष्ण की मुरली की धुन सुनकर तथा उनकी मुस्कान से गोपियों की मनोदशा कैसी हो जाती है?
समाधान
- (d) श्रीकृष्ण की लाठी और कंबल के लिए
- (b) आठों सिद्धि व नौ निधियों के सुख को छोड़ सकते हैं
- (b) कृष्ण से संबंधित वस्तुओं के प्रति
- (a) अनुप्रास
- (b) करोड़ों सोने-चाँदी के महल
- (d) मुरली के प्रति ईर्ष्या भाव, सौतिया डाह एवं शत्रुता का पता चलता है
- (c) यमक
- (b) अनन्य समर्पण का भाव
- (c) निधियों
- (d) श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े इन सभी रूपों से
- गोपी कानों में उँगली इसलिए रखना चाहती है क्योंकि जब कृष्ण मंद एवं मधुर स्वर में मुरली बजाएँ तथा ऊँची अटारियों पर चढ़कर गोधन गाएँ तो उनका मधुर स्वर उसके कानों में न पड़े तथा गोपी इस स्वर के प्रभाव में आकर कृष्ण के वश में न हो सके।
- रसखान कृष्ण से प्रेम करते हैं साथ ही कृष्ण से जुड़ी ब्रजभूमि के वन, बाग, तालाबों आदि के प्रति भी अपना प्रेम प्रकट करते हैं। इससे हमें यह सीख मिलती है कि हमें भी अपनी मातृभूमि के एक-एक तत्त्व से प्रेम करना चाहिए। यह हमारा पालन-पोषण तो करती है साथ ही हमें बलिष्ठ बनाती है। अपनी मातृभूमि पर आने वाले हर संकट का वीरतापूर्वक सामना करके इसकी रक्षा करनी चाहिए।
- गोपी तथा उसकी सखियाँ श्रीकृष्ण से प्रेम करती हैं। वे हर स्थिति में श्रीकृष्ण का सान्निध्य पाना चाहती हैं। वे मानती हैं कि गोपी जब कृष्ण का रूप धारण कर लेगी तो उन्हें लगेगा कि गोपी के रूप में श्रीकृष्ण ही उनके सामने साक्षात् खड़े हैं।
- गोपी को महसूस होता है कि उसके और कृष्ण के बीच मुरली ही बाधक है। इस मुरली के कारण ही वह कृष्ण को सामीप्य पाने से वंचित रह जाती है। वह सोचती है कि कृष्ण उससे ज्यादा मुरली को चाहते हैं। यह मुरली ही कृष्ण और उसके बीच दूरी का कारण है।
- श्रीकृष्ण की मुरली की ध्वनि मादक तथा मधुर है जो सुनने में अत्यंत कर्णप्रिय लगती है। इसके अलावा श्रीकृष्ण की मुस्कान ब्रजवासियों तथा गोपियों को विवश कर देती है। गोपियाँ श्रीकृष्ण के सौंदर्य पर मोहित हैं। श्रीकृष्ण के गाए गए गोधन को भी वह अनसुना कर देंगी पर श्रीकृष्ण की मादक मुस्कान देखकर वे अपने आपको संभाल नहीं पाएँगी। वे श्रीकृष्ण की उस मुसकान के आगे स्वयं को विवश पाती हैं तथा उनकी ओर खिंची चली जाती हैं।