CBSE कक्षा 9 हिंदी अ – इस जल प्रलय में

इस जल प्रलय में टेस्ट पेपर 01

सीबीएसई कक्षा 9 हिंदी ए

खंड ख – व्यावहारिक व्याकरण

प्रश्न

1. इस जल प्रलय में पाठ के अनुसार ‘मृत्यु का तरल दूत’ किसे कहा गया है और क्यों?
2. पशुओं और मनुष्यों के बीच भावात्मक संबंध है। कैसे? पाठ ‘इस जल प्रलय में’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
3. ‘फणीश्वरनाथ रेणु’ के अनुसार लेखक ने अपने मित्र से क्यों कहा कि पहचान लीजिए, यही है वह ‘आम आदमी’।
4. गाँव के लोग नाव के अभाव में क्या कर रहे थे?
‘इस जल प्रलय में पाठ के आधार पर लिखिए।
5. ‘इस जल प्रलय में’ पाठ के आधार पर लेखक के मानवीय मूल्यों का आकलन कीजिए।
6. प्राकृतिक आपदा से निपटने की तैयारी में मानवीय आवश्यकताओं का ध्यान कैसे रखा जाता है?
‘इस जल प्रलय में पाठ के आधार पर लिखिए।


समाधान

  1. बाढ़ का पानी लगातार बढ़ता जा रहा था और आगे बढ़ते हुए बाढ़ के जल के सामने सब लाचार थे बाढ़ के जल के रास्ते में आने वाली प्रत्येक वस्तु नष्ट होती जा रही थी। बढ़ते हुए जल ने अपनी भयानकता का संकेत दे दिया था। इस जल ने ना जाने कितने प्राणियों की जान ले ली थी और ना जाने कितनों का घर उजाड़ दिया था। बाढ़ के पानी की वजह से कई लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी जिस कारण इसे मृत्यु का तरल दूत कहा गया।
  2. पशु और मनुष्य दोनों जीव हैं और दोनों ही एक-दूसरे के सुख-दुख का अनुभव करते हैं। पाठ में वर्णित प्रसंग महानंदा नदी की बाढ़ से घिरे एक गाँव का है जिसमें कई बीमारों को नाव पर चढ़ाकर राहत कैंप तक ले जाना था। एक बीमार युवक के साथ उसका पालतू कुत्ता भी नाव पर चढ़ गया। यह देखकर नाव पर उपस्थित डॉक्टर तथा अन्य सदस्य डर गए। भयभीत डॉक्टर ने कुते को नाव से उतारने को कहा तो नौजवान ही पानी में उतर गया। नौजवान को पानी में उतरता देख कुत्ता भी पानी में कूद गया। वैसे कुत्ते की स्वामी भक्ति जगजाहिर है। वे अपने स्वामी के लिए प्राणोत्सर्ग भी कर देते हैं। उपर्युक्त प्रसंग से यह स्पष्ट होता है कि पशु और मानव भावात्मक रूप से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।
  3. लेखक और उसके साहित्यिक मित्र गांधी मैदान से गुज़र रहे थे, तब एक अधेड़ गँवार व्यक्ति ज़ोर से बोल उठा कि “जब दानापुर डूब रहा था, तब पटना के लोग पलटकर देखने भी नहीं आए थे।” यह सुनकर लेखक को लगा कि जिस ‘आम आदमी’ की तलाश साहित्यिक गोष्ठियों में होती रहती है, यह वही आम आदमी है, जो दानापुर और उत्तर बिहार के बाढ़ग्रस्त इलाकों की चिंता करता है। उसमें एक प्रकार का आक्रोश भी भरा है, जो मनुष्य से मनुष्य को अलग रखने की मानसिकता से उत्पन्न हुआ है।
  4. गाँव के लोग नाव के अभाव में केले के पौधे का ‘भेला’ बनाकर किसी प्रकार अपना काम चला रहे थे। जब उन्होंने देखा कि ज़ींदार के लड़के ऐसे संकटकाल में भी हारमोनियम-तबला लेकर ‘जल विहार’ करने निकले हैं, तो ग्रामीणों ने उनकी नाव छीन ली, हालाँकि इसमें थोड़ी मारपीट भी हुई थी।
  5. ‘इस जल प्रलय में’ पाठ के आधार पर लेखक के मूल्यों का आकलन निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत किया जा सकता है-
    i. जिज्ञासु प्रवृत्ति- लेखक जिज्ञासु प्रवृत्ति का मनुष्य है। वह यह जानने के लिए व्याकुल रहता है कि बाढ़ का पानी कहाँ तक आ गया।
    ii. समय के आवाहन को स्वीकारना- लेखक तत्कालीन समय के आवाहन को स्वीकारता है और वह बाढ़ से बचने का इंतजाम करने में जुट जाता है।
    iii. व्यापक दृष्टिकोण- लेखक का दृष्टिकोण व्यापक है। वह बाढ़ से परेशान अन्य लोगों के बारे में चितित हो जाता है।
    iv. सक्रिय सहभागिता- लेखक परेशान लोगों को बाढ़ से बचने के लिए उचित जानकारी एवं सहयोग देता है।
  6. लेखक फणीश्वरनाथ रेणु जी पटना के राजेंद्र नगर इलाके में अपने परिवार के साथ रहते थे। वर्ष 1967 में जब पटना में बाढ़ आई थी, तो उनका राजेंद्र नगर का इलाका भी बाढ़ के पानी में डूब गया था। वहाँ छाती तक पानी आ गया था। लोग छोटी-छोटी आवश्यक वस्तुओं; जैसे ईंधन, आलू, मोमबत्ती, सिगरेट, दियासलाई, पीने का पानी, कंपोज की गोलियाँ आदि के लिए भी परेशान हो गए थे। दुकानें और बाज़ार बंद थे। राजभवन, मुख्यमंत्री निवास और कॉफ़ी हाउस में भी पानी भर गया था। लोगों में बाढ़ का पानी देखने की उत्सुकता बढ़ गई थी और वे बाढ़ देखने इधर-उधर जा रहे थे। लेखक ने इससे पहले बाढ़ की ऐसी विनाशलीला कभी नहीं देखी थी।
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