CBSE कक्षा 9 हिंदी अ – रीढ़ की हड्डी

रीढ़ की हड्डी टेस्ट पेपर 01

सीबीएसई कक्षा 9 हिंदी ए

प्रश्न

  1. रीढ़ की हड्डी एकांकी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  2. शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की-समाज को कैसे व्यक्तित्व की ज़रूरत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
  3. रीढ़ की हड्डी पाठ अपने पाठकों को क्या संदेश देना चाहता है?
  4. रीढ़ की हड्डी एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
  5. रीढ़ की हड्डी पाठ के अनुसार उमा गोपाल प्रसाद की बातों का क्या जवाब देती है?
  6. रामस्वरूप बैठक के कमरे में वाद्य यंत्रों को क्यों रखवाते थे?

समाधान

  1. रीढ़ की हड्डी एकांकी में लेखक ने सरल और बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है। भाषा प्रसंग, भाव और पात्रों के अनुरूप है। लेखक ने अंग्रेजी और उर्दू-फ़ारसी के कई शब्दों का सहज भाव से प्रयोग किया है। इसमें मुहावरों का भी प्रयोग है। इस एकांकी की शैली संवादात्मक है और छोटे-छोटे संवादों के माध्यम से कहानी को गति मिलती है। भाषा-शैली में नाटकीयता और चित्रात्मकता भी है।
  2. समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की जरूरत है। उमा चरित्रवान और शिक्षित है। वह अपनी शिक्षा के बारे में दृढ़ता से बताती है, जबकि उसके पिता ने यह बात छिपाने की कोशिश की थी। इसके विपरीत, शंकर जैसे लोग उच्च शिक्षा प्राप्त करके भी नहीं चाहते कि उनकी पत्नी शिक्षित हो। ऐसे व्यक्तित्व से समाज और राष्ट्र की उन्नति नहीं हो सकती है।
  3. ‘रीढ़ की हड्डी’ पाठ अपने पाठकों को यह संदेश देना चाहता है कि विवाह योग्य लड़कियों की आवाज को बुलंद किया जाना चाहिए। यह पाठ लड़कों और लड़कियों के बीच भेदभाव न करने की बात करता है और कहता है कि लड़कियों को भी समाज में लड़कों के बराबर शिक्षा और सम्मान मिलना चाहिए। यह पाठ उन लोगों की सोच का पर्दाफाश करता है जो लड़कियों को भेड़-बकरी या मेज-कुर्सी समझते हैं। यह पाठ लड़कियों के स्वतंत्र अस्तित्व का एहसास कराता है और कहता है कि उन्हें अपना जीवनसाथी चुनने का पूरा अधिकार होना चाहिए। यह पाठ यह भी संदेश देता है कि हमारे समाज को शंकर जैसे रूढ़िवादी और कमजोर चरित्र वाले लोगों की नहीं, बल्कि उमा जैसी साहसी और उच्च चरित्र वाली युवतियों की आवश्यकता है, जो समाज को विकसित कर सकें और कुरीतियों को दूर कर सकें।
  4. इस एकांकी में रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद दोनों प्रमुख पुरुष पात्र हैं।
    • रामस्वरूप: वह आधुनिक विचारों के हैं और उच्च शिक्षा के समर्थक हैं। वह अपनी बेटी उमा को बी.ए. तक पढ़ाते हैं। हालांकि, वह गोपाल प्रसाद के विचारों को जानकर परिस्थितियों से समझौता करते हुए उमा की शिक्षा की बात छिपाते हैं।
    • गोपाल प्रसाद: वह पेशे से वकील हैं, लेकिन शिक्षा के बारे में उनकी सोच दोहरी है। वह लड़कों के लिए उच्च शिक्षा और लड़कियों के लिए कम शिक्षा के पक्ष में हैं। वह शादी को एक व्यापार मानते हैं और दहेज के लालच में अपने मेडिकल की पढ़ाई कर रहे बेटे का विवाह कम पढ़ी-लिखी लड़की से करने को भी तैयार हो जाते हैं।
  5. गोपाल प्रसाद द्वारा बार-बार पूछे जाने पर उमा मजबूरी में जवाब देती है। वह कहती है कि जैसे मेज-कुर्सी बिकती है, वैसे ही उसके पिता ने उसे लड़कों वालों के सामने पेश किया है। वह गुस्से में कहती है कि लड़कियों के भी दिल होते हैं और उन्हें भी चोट लगती है, वे लाचार भेड़-बकरियाँ नहीं हैं। उमा के ये शब्द उस लड़की की मजबूरी को दर्शाते हैं जिसे एक सजावटी वस्तु की तरह पेश किया जाता है।
  6. रामस्वरूप अपनी बेटी उमा को देखने आने वाले लड़के वालों को प्रभावित करने के लिए कमरे में सितार और हारमोनियम रखवाते थे। वे ऐसा इसलिए करते थे ताकि लड़के वालों को यह पता चले कि उमा को संगीत का भी ज्ञान है और वह इसके बल पर लड़के और उसके पिता को प्रभावित कर सके।
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