साखियाँ एवं सबद टेस्ट पेपर 01
सीबीएसई कक्षा 9 हिंदी ए
खंड ख – व्यावहारिक व्याकरण
प्रश्न
मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराहिं। मुकताफल मुकता चुगैं, अब उड़ि अनत न जाहिं।
- यहाँ मानसरोवर का प्रयोग किस संदर्भ में किया गया है?
- समुद्र के रूप में
- एक पवित्र झील के रूप में
- एक पवित्र झील के रूप में और पवित्र मन के रूप में दोनों
- पवित्र मन के रूप में
- मानसरोवर में हंस क्या कर रहे हैं?
- इनमें से कोई नहीं
- झील के जल को पीने में मग्न हैं
- झील के कपर उड़ रहे हैं
- दिन-रात कीड़ामश्न है
- पद्योश में हंस किसका प्रतीक है?
- जीवात्मा का
- समय का
- एक पक्षी का
- मृत्यु का
- हंस मानसरोवर छोड़कर क्यों नहीं जाना चाहता?
- क्योंकि उसे कहीं और मोती नहीं मिलेंगे
- वह उड़ने में असमर्थ है
- क्योंकि क्रीड़ा का ऐसा आनंद उसे कहीं और नहीं आएगा
- वह अपनी जन्मभूमि को छोड़कर नहीं जाना चाहता
- भक्ति भावना की चरम अवस्था क्या है?
- आत्मा का परमात्मा में मिलन
- भक्ति में लीन हो जाना
- परमात्मा के दर्शन होना
- मन की पुकार का सुना जाना
- कबीर ने संसार को क्या कहाँ है?
- जन्तुशाला
- स्वान
- विपदाओं का स्थान
- मुर्ख
- मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराई। मुक्ताफल मुक्ता चुगें, अब उडि अनंत ने जाहिं।। कबीर द्वारा रचित साखी में ‘मानसरोवर’ शब्द में कौन-सा अलंकार है ?
- अतिशयोक्ति
- मानवीकरण
- रूपक
- उपमा
- कबीर के अनुसार किसे अपनाने से सांसारिक विकार दूर हो जाते हैं?
- योग-साधना को
- पारिवारिक प्रेम को
- इनमें से कोई नहीं
- धार्मिक ज्ञान को
- मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराई। मुक्ताफल मुक्ता चुगें, अब उडि अनंत ने जाहिं ।। कबीर ने इस साखी में किस भाषा का प्रयोग किया है?
- हिंदी
- अपभ्रंश
- सधुक्कड़ी
- अवधि
- साखियाँ एवं सबद के संदर्भ में कवि ने संसार को किसका रूप माना है?
- सिंह
- सियार
- हाथी
- स्वान
- कबीर ने ईश्वर को ‘सब स्वाँसों की स्वाँस’ में क्यों कहा है?
- सखियाँ में अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है?
- मानसरोवर से कबीर का क्या आशय है?
- कबीर के अनुसार मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ता फिरता है?
- संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
समाधान
- (c) एक पवित्र झील के रूप में और पवित्र मन के रूप में दोनों
- (d) दिन-रात कीड़ामश्न है
- (a) जीवात्मा का
- (a) क्योंकि उसे कहीं और मोती नहीं मिलेंगे
- (a) आत्मा का परमात्मा में मिलन
- (b) स्वान
- (c) रूपक
- (a) योग-साधना को
- (c) सधुक्कड़ी
- (d) स्वान
- कवि ने ईश्वर को ‘सब स्वाँसों की स्वाँस में इसलिए कहा है क्योंकि सभी प्राणियों की रचना ईश्वर ने की है। प्रत्येक मनुष्य के अंदर स्थित आत्मा ईश्वर का ही अंश है। जीव का अस्तित्व उसी आत्मा के कारण संभव है।
- अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने निम्नलिखित संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है-
- मुसलमान काबा को अपना पवित्र तीर्थ स्थल और हिंदू काशी को पावन स्थल मानते हुए राम-रहीम में अंतर करते हैं जबकि धर्म के नाम पर ये भेदभाव मनुष्य द्वारा किया गया है।
- ऊँचे कुल में जन्म लेने से ही व्यक्ति महान नहीं बन जाता है। व्यक्ति की महानता उसके कर्मों पर निर्भर करती है न कि उसके कुल पर।
- मानसरोवर से कवि का आशय मन रूपी सरोवर से है। इसमें स्वच्छ विचार रूपी जल भरा हुआ है। इस स्वच्छ जल में जीवात्मा रूपी हंस प्रभु भक्ति में लीन होकर स्वच्छंद होकर मुक्तिरूपी मुक्ताफल चुग रहे हैं। ऐसे आनंददायक स्थान को छोड़कर वे अन्यत्र जाना नहीं चाहते।
- मनुष्य ईश्वर को निम्नलिखित स्थानों पर ढूँढ़ता फिरता है-
- मनुष्य ईश्वर को मंदिर-मस्जिद में खोजता रहता है।
- वह उसे काबा-कैलाश जैसे तीर्थ स्थानों में ढूँढता रहता है।
- मनुष्य ईश्वर को योग-साधना, जप-तप, वैराग्य तथा अनेक प्रकार की धार्मिक कर्मकांडों में खोजता है।
- कबीर ने अपनी रचना के माध्यम से समाज एवं मनुष्य के मन एवं आँखों पर पड़े धर्म, संप्रदाय एवं संसारिकता के परदे को अपनी इस रचना के माध्यम से हटाने की कोशिश की है। उन्होंने प्रेम के महत्व, संत के लक्षण, ज्ञान की महिमा, बाह्यडंबरों का विरोध आदि का वर्णन अपनी साखियों तथा पदों में किया है। इस रचना में कबीर ने मनुष्य को इस संसारिकता के बंधनों, धार्मिक अंधविश्वास आदि से मुक्त होकर प्रभु भक्ति में लीन होने के बारे में बताया है। कबीर ने बताया है कि प्रभु की भक्ति ही श्रेष्ठ है और मनुष्य को सच्चे मन से प्रभु की भक्ति में लीन रहना चाहिए।