उपभोक्तावाद की संस्कृति टेस्ट पेपर 01 | सीबीएसई कक्षा 9 हिंदी ए        
   
     

उपभोक्तावाद की संस्कृति टेस्ट पेपर 01

     

सीबीएसई कक्षा 9 हिंदी ए

   
 
 
   
     

खंड ख – व्यावहारिक व्याकरण

     
       

प्रश्न

       

Question No. 1 to 5 are based on the given text. Read the text carefully and answer the questions:

       
         

संभ्रांत महिलाओं की ड्रेसिंग टेबल पर तीस-तीस हज़ार रुपये की सौंदर्य सामग्री होना तो मामूली बात है। पेरिस से परफ्यूम मँगाइए, इतना ही और खर्च हो जाएगा। ये प्रतिष्ठा-चिह्न हैं, समाज में आपकी हैसियत जताते हैं पुरुष भी इस दौड़ में पीछे नहीं हैं। पहले उनका काम साबुन और तेल से चल जाता था। आफ्टर शेव और कोलोन बाद में आए। अब तो इस सूची में दर्जन-दो दर्जन चीजें और जुड़ गई हैं। छोड़िए इस सामग्री को। वस्तु और परिधान की दुनिया में आइए। जगह-जगह बुटीक खुल गए हैं, नए-नए डिज़ाइन के परिधान बाज़ार में आ गए हैं। ये ट्रेंडी हैं और महँगे भी। पिछले वर्ष के फ़ैशन इस वर्ष? शर्म की बात है। घड़ी पहले समय दिखाती थी। उससे यदि यही काम लेना हो, तो चार-पाँच सौ में मिल जाएगी। हैसियत जताने के लिए आप पचास-साठ हज़ार से लाख-डेढ़ लाख की घड़ी भी ले सकते हैं। संगीत की समझ हो या नहीं, कीमती म्यूज़िक सिस्टम ज़रूरी है। कोई बात नहीं यदि आप उसे ठीक तरह चला भी न सकें। कंप्यूटर काम के लिए तो खरीदे ही जाते हैं, महज़ दिखावे के लिए उन्हें खरीदने वालों की संख्या भी कम नहीं है।

       
       
             
  1.             आज के समय में किसी संभ्रांत महिलाओं की ड्रेसिंग टेबल पर महँगी सौंदर्य सामग्री होना कैसी बात है?            
                   
    • अविश्वसनीय
    •              
    • अस्वाभाविक
    •              
    • मामूली बात
    •              
    • आश्चर्यजनक
    •            
             
  2.          
  3.             पेरिस से परफ्यूम मँगाना किसका सूचक है?            
                   
    • सौंदर्य का
    •              
    • भोग-विलास का
    •              
    • वैभव का
    •              
    • प्रतिष्ठा का
    •            
             
  4.          
  5.             आफ्टर शेव और कोलोन से पहले पुरुषों का काम किससे चल जाता था?            
                   
    • शैंपू व तेल से
    •              
    • तेल व क्रीम से
    •              
    • क्रीम व साबुन से
    •              
    • साबुन व तेल से
    •            
             
  6.          
  7.             संभ्रांत महिलाएँ किन्हें कहा गया है?            
                   
    • छोटे परिवार की महिलाओं को
    •              
    • मजदूर महिलाओं को
    •              
    • गरीब परिवार की महिलाओं को
    •              
    • धनी परिवार की महिलाओं को
    •            
             
  8.          
  9.             परिधान के संदर्भ में शर्म की बात क्या है?            
                   
    • सस्ते कपड़े पहनना
    •              
    • नए डिजाइन के परिधान पहनना
    •              
    • ट्रेंडी और महाँगे परिधान पहनना
    •              
    • पिछले वर्ष के डिजाइन पहनना
    •            
             
  10.          
  11.             उपभोक्तावाद की संस्कृति पाठ के आधार पर बताइए कि विज्ञापन से प्रेरित होकर यदि हम कोई उत्पाद खरीदते हैं, तो हमारी नज़र कहाँ नहीं जाती?            
                   
    • उत्पाद के ब्रांड पर
    •              
    • उत्पाद के डिब्बे पर बने चित्रों पर
    •              
    • उत्पाद की गुणवत्ता पर
    •              
    • उत्पाद के मूल्य पर
    •            
             
  12.          
  13.             उपभोक्तावाद की संस्कृति पाठ के आधार पर सम्मोहन और वशीकरण की शक्ति किसमें है?            
                   
    • विज्ञापन में
    •              
    • प्रकृति में
    •              
    • धर्म में
    •              
    • मनुष्य में
    •            
             
  14.          
  15.             उपभोक्तावाद की संस्कृति पाठ के आधार पर हमारी आस्थाओं का क्या हुआ है ?            
                   
    • क्षरण
    •              
    • तरण
    •              
    • रक्षण
    •              
    • भरण
    •            
             
  16.          
  17.             उपभोक्तावाद की संस्कृति पाठ के लेखक कौन हैं?            
                   
    • श्यामाचरण दुबे
    •              
    • प्रेमचंद
    •              
    • जाबिर हुसैन
    •              
    • राहुल सांकृत्यायन
    •            
             
  18.          
  19.             उपभोक्तावाद की संस्कृति पाठ के आधार पर संभ्रांत महिलाओं की ड्रेसिंग टेबल पर कितने हज़ार की सौंदर्य सामग्री का होना मामूली बात है?            
                   
    • तीस
    •              
    • चालीस
    •              
    • दस
    •              
    • बीस
    •            
             
  20.          
  21.             आपके अनुसार वस्तुओं को खरीदने का आधार वस्तु की गुणवत्ता होनी चाहिए या उसका विज्ञापन? तर्क देकर स्पष्ट करें।          
  22.          
  23.             उपभोक्तावाद की संस्कृति पाठ के आधार पर छद्म आधुनिकता किसे कहते हैं? हम उसकी गिरफ़्त में क्यों आ रहे हैं?          
  24.          
  25.             उपभोक्तावाद की संस्कृति पाठ के आधार पर आज के उपभोक्तावादी युग में पनप रही दिखावे की संस्कृति पर विचार व्यक्त कीजिए।          
  26.          
  27.             सामाजिक नींव को किससे खतरा है और क्यों? उपभोक्तावाद की संस्कृति पाठ के आधार पर लिखिए।          
  28.          
  29.             आशय स्पष्ट कीजिए- जाने-अनजाने आज के माहौल में आपका चरित्र भी बदल रहा है और आप उत्पाद को समर्पित होते जा रहें हैं।          
  30.        
       
       

समाधान

       
             
  1.             **उत्तर:** (c) मामूली बात          
  2.          
  3.             **उत्तर:** (d) प्रतिष्ठा का          
  4.          
  5.             **उत्तर:** (d) साबुन व तेल से          
  6.          
  7.             **उत्तर:** (d) धनी परिवार की महिलाओं को            
                व्याख्या: धनी परिवार की महिलाओं को          
  8.          
  9.             **उत्तर:** (d) पिछले वर्ष के डिजाइन पहनना            
                व्याख्या: पिछले वर्ष के डिजाइन पहनना          
  10.          
  11.             **उत्तर:** (c) उत्पाद की गुणवत्ता पर            
                व्याख्या: उत्पाद की गुणवत्ता पर          
  12.          
  13.             **उत्तर:** (a) विज्ञापन में            
                व्याख्या: विज्ञापन में          
  14.          
  15.             **उत्तर:** (a) क्षरण            
                व्याख्या: क्षरण          
  16.          
  17.             **उत्तर:** (a) श्यामाचरण दुबे            
                व्याख्या: श्यामाचरण दुबे          
  18.          
  19.             **उत्तर:** (a) तीस            
                व्याख्या: तीस          
  20.          
  21.             किसी भी वस्तु को खरीदने का आधार उसकी गुणवत्ता होनी चाहिए। विज्ञापन में वस्तु के गुणों का अतिशयोक्तिपूर्ण बखान किया जाता है, उसके बारे में सच्चाई नहीं बताई जाती उन्हीं गुणों को सुन हम किसी भी वस्तु को खरीद लेते हैं। आज कल विज्ञापन में वस्तु का बहुत ज्यादा महिमामंडन किया जाता है। वस्तु में जो गुण नहीं होते हैं उसे भी गिना दिया जाता है। जबकि वास्तविकता कुछ और ही होती है। विज्ञापन का असली मकसद सिर्फ उपभोक्ता की जेब पर डाका डालना रह गया है। विज्ञापन में मनमोहक भाषा और दृश्यों को दिखाया जाता है। विज्ञापन की चकाचौंध में उपभोक्ता फंस जाता है। इसलिए किसी भी वस्तु को खरीदने से पहले उसके गुण को अच्छी तरह जान लेना चाहिए।          
  22.          
  23.             आधुनिक होने का दिखावा करना छद्म आधुनिकता कहलाती है। हम पश्चिमी देशों को अपने देश से अधिक आधुनिक और विकसित मानकर उनका अनुकरण कर रहे हैं तथा छद्म आधुनिकता की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। उपभोक्तावाद की इस संस्कृति के कारण हम आधुनिकता के झूठे प्रतिमान अपनाकर छद्म आधुनिकता के वश में हो रहें।          
  24.          
  25.             आज के उपभोक्तावादी युग ने समाज में दिखावे की संस्कृति को जन्म दिया है। बाजार में तरह-तरह की वस्तुएँ भरी पड़ी हैं। जिनकी नुमाइश दुकान के बाहर लगाई जाती है। इस चमक-दमक को देख लोग उस वस्तु को खरीदने पर विवश हो जाते हैं। कई बार तो ऐसा भी होता है कि जरूरत ना होने पर भी लोग सामान खरीद लेते हैं। ऐसा दिखावे के वशीभूत होकर करते हैं। इतना ही नहीं दिखावे के चक्कर में महँगी वस्तु खरीदने से भी नहीं चूकते। जबकि वही काम कम दाम की वस्तु में भी हो सकता है। जैसे लोग 2 लाख तक की घड़ी खरीदकर पहनते हैं। जबकि समय तो पाँच सौ रुपए की घड़ी भी बताती है। पाँच सितारा होटल में खाना और महंगे कपड़े पहनना, ये सब दिखावे का हिस्सा है। दिखावे की इस प्रवृत्ति से मनुष्य में आक्रोश और तनाव बढ़ रहा है।          
  26.          
  27.             सामाजिक नींव को उपभोक्तावादी संस्कृति से खतरा है, क्योंकि इस संस्कृति का अंधानुकरण कर हम आत्मकेंद्रित और स्वार्थी हो गए हैं। हम अपनी परंपरा, नैतिकता और सामाजिक सरोकारों को भूलते जा रहे हैं। इसके कारण विकास के उद्देश्य पीछे छूटते जा रहे हैं। हमारे लक्ष्य-भ्रम से पीड़ित होते जा रहे हैं।          
  28.          
  29.             उत्पाद का उत्पादन हमारे सुविधा के लिए हुआ था। अब उत्पाद धीरे-धीरे हम पर हावी होते जा रहे हैं। इससे हमारा चरित्र बदल रहा है। मानव संसाधनों के उपभोग को ही चरम सुख मान बैठे हैं। मानसिकता के बदलाव के चलते दिखावा भी बढ़ गया है। छोटे-छोटे कामों के लिए भी भारी-भरकम एवं महंगे उत्पादों पर निर्भर रहने लगे हैं।          
  30.        
     
   
     
Scroll to Top