ल्हासा की ओर टेस्ट पेपर 01
सीबीएसई कक्षा 9 हिंदी ए
ल्हासा की ओर टेस्ट पेपर 01
प्रश्न
प्रश्न 1 से 5 दिए गए गद्यांश पर आधारित हैं। गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
परित्यक्त चीनी किले से जब हम चलने लगे, तो एक आदमी राहदारी माँगने आया। हमने वह दोनों चिटें उसे दे दीं। शायद उसी दिन हम थोड्ला के पहले के आखिरी गाँव में पहुँच गए। यहाँ भी सुमति के जान-पहचान के आदमी थे और भिखमंगे रहते भी ठहरने के लिए अच्छी जगह मिली। पाँच साल बाद हम इसी रास्ते लौटे थे और भिखमंगे नहीं, एक भद्र यात्री के वेश में घोड़ों पर सवार होकर आए थे; किंतु उस वक्त किसी ने हमें रहने के लिए जगह नहीं दी और हम गाँव के एक सबसे गरीब झोंपड़े में ठहरे थे। बहुत कुछ लोगों की उस वक्त की मनोवृत्ति पर ही निर्भर है, खासकर शाम के वक्त छड् पीकर बहुत कम होश-हवास को दुरुस्त रखते हैं।
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लेखक द्वारा परित्यक्त चीनी किले से चलने पर एक आदमी उनसे राहदारी माँगने आया। यह राहदारी क्या थी?
- a. बौद्ध धर्म से संबंधित अन्य सामान
- b. यात्रा करने का कर
- c. इनमें से कोई नहीं
- d. बोधगया के कपड़े
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लेखक चीनी किले से जाने के बाद कहाँ पहुँचा?
- a. इनमें से कोई नहीं
- b. निर्जन डाँडा प्रदेश में
- c. लद्दाख के एक परिचित के घर में
- d. थोड्ला के पहले के आखिरी गाँव में
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थोड्ला में लेखक को ठहरने का अच्छा स्थान कैसे मिला?
- a. सुमति की जान-पहचान के लोग होने के कारण
- b. अपनी जान-पहचान के लोग होने के कारण
- c. चीनी सैनिकों से मित्रता होने के कारण
- d. भिखारी का वेश धारण करने के कारण
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पाँच साल बाद उसी रास्ते पर लौटते हुए लेखक को कहाँ ठहरना पड़ा था?
- a. अपने जान-पहचान के लोगों के घर में
- b. सुमति के घर में
- c. गाँव के सबसे गरीब झोंपड़े में
- d. इनमें से कोई नहीं
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शाम के वक्त गाँव के लोग अपने होशो-हवास में क्यों नहीं रहते?
- a. स्थानीय शराब पीने के कारण
- b. भांग पीने के कारण
- c. छड् नामक मादक द्रव्य पीने के कारण
- d. सोम नामक मादक द्रव्य पीने के कारण
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ल्हासा की ओर नामक पाठ के संदर्भ में तिड्री का विशाल मैदान किससे घिरा हुआ था?
- a. जंगलों से
- b. डाकुओं से
- c. पहाड़ियों से
- d. नदी से
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ल्हासा की ओर नामक पाठ के संदर्भ में तिब्बत में किसके बारे में कोई कानून नहीं है?
- a. हथियार के बारे में
- b. विवाह के बारे में
- c. व्यापार के बारे में
- d. इनमें से कोई नहीं
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ल्हासा की ओर के आधार पर बताइए कि दोन्क्विकस्तो पात्र किस देश के उपन्यासकार द्वारा रचा गया था?
- a. रूस
- b. स्पेन
- c. इंग्लैंड
- d. इटली
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ल्हासा की ओर नामक पाठ के संदर्भ में तिब्बत में भिक्षु को क्या कहते हैं?
- a. नम्से
- b. भिखारी
- c. नमस्ते
- d. बुद्ध के सैनिक
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ल्हासा की ओर पाठ के सन्दर्भ में सुमति कौन था?
- a. मंगोल यात्री
- b. मंगोल मित्र
- c. मंगोल भिक्षु
- d. मंगोल साधु
- ल्हासा की ओर पाठ में लेखक लड्ङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया?
- ‘ल्हसा की ओर’ पाठ के आधार पर सुमति की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- ल्हासा की ओर पाठ में अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
- लेखक ने अपने यात्रा-वृत्तांत में तिब्बत की भौगोलिक यात्रा का जो चित्र खींचा है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
- सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं?
समाधान
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**उत्तर:** (b) यात्रा करने का कर
व्याख्या: राहदारी का मतलब यात्रा करने का कर था। -
**उत्तर:** (d) थोड्ला के पहले के आखिरी गाँव में
व्याख्या: लेखक चीनी किले से जाने के बाद थोड्ला के पहले के आखिरी गाँव में पहुँचा। -
**उत्तर:** (a) सुमति की जान-पहचान के लोग होने के कारण
व्याख्या: सुमति के जान-पहचान के लोग होने के कारण लेखक को थोड्ला में ठहरने के लिए अच्छी जगह मिली। -
**उत्तर:** (c) गाँव के सबसे गरीब झोंपड़े में
व्याख्या: पाँच साल बाद लौटने पर लेखक को गाँव के सबसे गरीब झोंपड़े में ठहरना पड़ा था। -
**उत्तर:** (c) छड् नामक मादक द्रव्य पीने के कारण
व्याख्या: शाम के वक्त छड् नामक मादक द्रव्य पीने के कारण गाँव के लोग अपने होशो-हवास में नहीं रहते। -
**उत्तर:** (c) पहाड़ियों से
व्याख्या: ल्हासा की ओर नामक पाठ के संदर्भ में तिड्री का विशाल मैदान पहाड़ियों से घिरा हुआ था। -
**उत्तर:** (a) हथियार के बारे में
व्याख्या: तिब्बत में हथियार रखने के बारे में कोई कानून नहीं है, जिसके कारण कोई भी नागरिक पिस्तौल या बंदूक रख सकता है। -
**उत्तर:** (b) स्पेन
व्याख्या: दोन्क्विकस्तो नामक पात्र 17वीं शताब्दी के एक स्पेनिश उपन्यासकार द्वारा रचा गया था। -
**उत्तर:** (a) नम्से
व्याख्या: पाठ के अनुसार, तिब्बत में भिक्षु को नम्से कहते हैं। -
**उत्तर:** (c) मंगोल भिक्षु
व्याख्या: सुमति एक मंगोल भिक्षु था। - **उत्तर:** लेखक लङ्ङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से पिछड़ गया क्योंकि उसका घोड़ा सुस्त था और वह धीरे-धीरे चल रहा था। घोड़ा धीरे चलने के कारण लेखक रास्ता भटक गया और वापस आकर दूसरे रास्ते से गया, जिससे उसे और देर हो गई।
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**उत्तर:** सुमति की चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- सुमति लेखक के परम मित्र थे।
- वे मिलनसार और हँसमुख स्वभाव के थे।
- वे समय के पाबंद थे, इसलिए लेखक के देर से पहुँचने पर नाराज़ भी हुए।
- सुमति अतिथि सत्कार में कुशल थे और उन्होंने लेखक के लिए चाय को तीन बार गर्म किया।
- वे जितनी जल्दी गुस्सा होते थे, उतनी ही जल्दी शांत भी हो जाते थे।
- उन्हें तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का अच्छा ज्ञान था।
- वे बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले व्यक्ति थे और वहाँ के लोगों के लिए धर्मगुरु के समान थे।
- वे स्वभाव से लालची प्रवृत्ति के थे और अपने यजमानों को साधारण कपड़ों से गंडे बनाकर देते थे ताकि उनसे दान प्राप्त कर सकें।
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**उत्तर:** अपनी यात्रा के दौरान लेखक को निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा:
- लेखक को ऊँचे-नीचे पहाड़ी रास्तों पर यात्रा करनी पड़ी।
- सभ्य व्यक्ति होने के बावजूद, उन्हें पूरी यात्रा भिखारी के वेश में करनी पड़ी।
- उन्हें रास्ते में डाकुओं का भय था।
- उनका घोड़ा सुस्त था, जिसके कारण वह अपने साथियों से पिछड़ गए।
- समय से न पहुँच पाने के कारण उन्हें सुमति के गुस्से का सामना करना पड़ा।
- उन्हें अपना सामान अपनी पीठ पर लादकर यात्रा करनी पड़ी।
- **उत्तर:** लेखक ने अपने यात्रा-वृत्तांत में तिब्बत के भूगोल का एक सुंदर चित्र खींचा है। तिब्बत भारत के उत्तर में स्थित एक पर्वतीय प्रदेश है। यहाँ के रास्ते बड़े दुर्गम हैं और घाटियों से घिरे हुए हैं। यहाँ की जलवायु ठंडी है और सर्दी अधिक पड़ती है। एक तरफ जहाँ दुर्गम चढ़ाइयाँ हैं, वहीं दूसरी ओर गहरी खाइयाँ भी हैं। चढ़ाई के दौरान जहाँ सूरज सिर पर रहता है, वहीं उतरते समय पीठ ठंडी हो जाती है। इस क्षेत्र की एक ओर बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियाँ हैं, जबकि दूसरी ओर बर्फ-रहित भूरी पहाड़ियाँ हैं। इन पहाड़ी मोड़ों पर डाकुओं का भी भय रहता है।
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**उत्तर:** सुमति के यजमानों और परिचितों का हर गाँव में मिलना सुमति के व्यक्तित्व की कई विशेषताओं को उजागर करता है:
- **मिलनसार और हँसमुख स्वभाव:** इससे पता चलता है कि वह लोगों के साथ आसानी से घुल-मिल जाते थे और उनका स्वभाव हँसमुख था।
- **धर्मगुरु के समान मान:** लोग उन्हें धर्मगुरु मानते थे, क्योंकि वे उन्हें बोधगया से लाए गंडे दिया करते थे।
- **लालची प्रवृत्ति:** जब बोधगया के गंडे खत्म हो जाते थे, तो वह साधारण कपड़ों से गंडे बनाकर अपने यजमानों को देते थे ताकि उनसे दान प्राप्त कर सकें।
- **अतिथि सत्कार में कुशलता:** वह आतिथ्य सत्कार में कुशल थे और उन्होंने लेखक का इंतज़ार करते हुए चाय को तीन बार गर्म किया और अकेले चाय नहीं पी।
- **भौगोलिक ज्ञान:** उनका व्यापक सामाजिक नेटवर्क यह भी दर्शाता है कि उन्हें तिब्बत के विभिन्न क्षेत्रों और वहाँ की भौगोलिक स्थिति का अच्छा ज्ञान था।