अपठित गद्यांश – टेस्ट पेपर 01
सीबीएसई कक्षा 9 हिंदी ए
खंड क – अपठित बोध
अपठित गद्यांश – 1
साधारण तौर पर जब हम साफ रात्रि में आकाश की ओर देखते होंगे तो हमें दूर-दूर तक हजारों तारे टिमटिमाते हुए दिखाई देते होंगे। उन्हें देखकर लगता है कि जैसे किसी ने उन्हें आकाश की काली पृष्ठभूमि पर चिपका रखा है। कई बार हमें आश्चर्य होता कि वे हर रात एक ही जगह कैसे बने रहते हैं, गिर क्यों नहीं जाते? वैज्ञानिक तथ्य तो यह है कि तारे वास्तव में एक जगह स्थिर नहीं रहते हैं। जिस प्रकार पृथ्वी तथा अन्य आठ ग्रह सूर्य के चारों ओर अपने-अपने पथ पर चलते रहते हैं। वे भी उसी प्रकार अपने पथ पर धीरे-धीरे चलते रहते हैं। हमें लगता है कि तारे एक ही जगह स्थिर हैं, क्योंकि हम उन्हें चलते हुए नहीं देख सकते हैं। इसका कारण यह है कि वे हमसे हजारों हजार किलोमीटर दूर हैं। जब वे चलते हुए भी होते हैं तब भी ऐसा लगता है कि वे एक ही जगह हैं। इसके अतिरिक्त एक शक्ति है, जिसे हम गुरुत्वाकर्षण शक्ति कहते हैं, जिसके कारण चलते समय भी तारे अपने पथ पर बने रहते हैं। वह उनको एक-दूसरे से टकराने से भी बचाती है।
प्रश्न
- आकाश की काली पृष्ठभूमि पर किसके चिपके होने की बात की गई है?
- इस गद्यांश में किस वैज्ञानिक तथ्य का उल्लेख किया गया है?
- हम तारों को चलते हुए क्यों नहीं देख सकते?
- पृथ्वी एवं अन्य ग्रह किसके चारों ओर चक्कर लगाते हैं?
- उपरोक्त गद्यांश का क्या शीर्षक हो सकता है?
समाधान
-
**उत्तर:** (c) टिमटिमाते तारों के
व्याख्या: गद्यांश में आकाश की काली पृष्ठभूमि पर हजारों टिमटिमाते तारों के चिपके होने की बात की गई है अर्थात् रात के समय आकाश में असंख्य तारे चमकते हुए दिखाई देते हैं। -
**उत्तर:** (d) गुरुत्वाकर्षण शक्ति
व्याख्या: इस गद्यांश में गुरुत्वाकर्षण शक्ति के वैज्ञानिक तथ्य का उल्लेख किया गया है। इस शक्ति के कारण तारे अपने स्थान पर स्थिर बने रहते हैं। -
**उत्तर:** (b) क्योंकि वे हमसे दूर हैं
व्याख्या: हम तारों को चलते हुए इसलिए नहीं देख सकते हैं, क्योंकि वे हमसे बहुत दूर हैं। वास्तव में, तारे अपने पथ पर धीरे-धीरे चलते रहते हैं, परंतु दूरी के कारण वे हमें चलते हुए दिखाई नहीं देते हैं। -
**उत्तर:** (a) सूर्य के
व्याख्या: गद्यांश के अनुसार पृथ्वी एवं अन्य ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। वे सूर्य के चारों ओर अपने-अपने पथ पर चलते रहते हैं। -
**उत्तर:** (b) आकाश के वैज्ञानिक तथ्य
व्याख्या: प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक ‘आकाश के वैज्ञानिक तथ्य’ हो सकता है, क्योंकि गद्यांश में आकाश से जुड़े वैज्ञानिक तथ्यों का वर्णन किया गया है।
अपठित गद्यांश – 2
यह सच है कि आजादी के बाद नारी की स्थिति में व्यापक परिवर्तन आया है, लेकिन यह भी एक सच है कि उसकी स्वतंत्रता आधी-अधूरी है। नारी की वास्तविक आज़ादी तब होगी जब वह भीतरी आज़ादी को महसूस कर पाएगी। उसकी वास्तविक आज़ादी का अहसास तभी हो पाएगा, जब वह स्वतंत्र मनुष्य की तरह भीतरी आज़ादी को महसूस करने की स्थितियों में होगी। आज की नारी संचार प्रौद्योगिकी, सेना, वायुसेना, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, विज्ञान वगैरह के क्षेत्र में कामयाबी के शिखर छू रही है। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जहाँ आज की महिलाओं ने अपनी छाप न छोड़ी हो। आज की कमाऊ स्त्री समान अधिकार और परिवार में लोकतंत्र की अनिवार्यता पर बहस करती या सही मायनों में लोकतंत्र लाना चाहती है।
प्रश्न
- नारी की वास्तविक आज़ादी कब होगी?
- नैतिकता शब्द से प्रत्यय अलग करके मूलशब्द भी लिखिए।
- कैसे कहा जा सकता है कि आधी दुनिया नहीं बल्कि पूरी दुनिया महिलाओं की है?
- नारी सही मायनों में क्या लाना चाहती है?
- गद्यांश के लिए सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक है-
समाधान
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**उत्तर:** (b) जब वह भीतरी आज़ादी को महसूस कर पाएगी
व्याख्या: नारी की सच्ची स्वाधीनता का अहसास तभी हो पाएगा जब वह आज़ाद मनुष्य की तरह भीतरी आज़ादी को महसूस करने की स्थितियों में होगी। -
**उत्तर:** (b) नैतिक + ता
व्याख्या: नैतिक + ता -
**उत्तर:** (b) क्योंकि आज महिला हर क्षेत्र में आगे है
व्याख्या: आज की नारी संचार प्रौद्योगिकी, सेना, वायुसेना, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, विज्ञान वगैरह के क्षेत्र में कामयाबी के शिखर छू रही है। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जहाँ आज की महिलाओं ने अपनी छाप न छोड़ी हो। -
**उत्तर:** (c) लोकतंत्र
व्याख्या: आज की कमाऊ स्त्री समान अधिकार और परिवार में लोकतंत्र की अनिवार्यता पर बहस करती या सही मायनों में लोकतंत्र लाना चाहती है। -
**उत्तर:** (b) आज की नारी
व्याख्या: प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक ‘आज की नारी’ हो सकता है, क्योंकि इस गद्यांश में आधुनिक नारी की स्थिति का वर्णन किया गया है।